वन्यप्रदेश में, वट वृक्ष की सघन पर्णछाया सूर्यदेव की किरणों को मृदु करके धरती पर स्वर्णमयी आभा बिखेर रही थी। वहीं एक पाँच वर्षीय ऋषि कन्या पद्मासन में बैठी थी।…
वेदहत्यारा आर्यसमाजी - देखो, वेद में नियोग का प्रमाण है, यह हमारे स्वामी दयानन्द ने अपनी अमर किताब सत्यार्थ प्रकाश में लिखा है--
इमां त्वमिन्द्र मीढ्वः सुपुत्रां सुभगां कृणु। दशास्यां…
आपको आर्यसमाजियों की एक धूर्तता दिखाते हैं कि किस प्रकार ये वेद की हत्या करते हैं, छल करते हैं और वेद प्रमाण के अनुसार अपना सिद्धान्त न बनाकर, जबरन वेद…
लेखराज खूबचंद कृपलानी, जिन्हें ब्रह्मकुमारी संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है, का जन्म 1876 में सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। इन्हें औपचारिक शिक्षा का अधिक अवसर नहीं मिला, और…
स्वामी दयानन्द एवं उनके अंधे अनुयायी धर्मशास्त्रों के अनुगामी नहीं होना चाहते। इनके अनुसार वेद, ब्राह्मण, उपनिषद्, स्मृतियाँ, दर्शन आदि सभी प्राचीन ग्रन्थों को स्वामी दयानन्द और सत्यार्थ प्रकाश का…
स्वामी दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश में लिखते हैं कि - "राजा भोज के राज्य में व्यास जी के नाम से मार्कण्डेय और शिवपुराण किसी ने बनाकर खड़ा किया था। उसका समाचार…
आर्यसमाजी ओम् को प्रत्येक स्थान पर 'ओ३म्' लिखते हैं। जो कि पूर्णतः अनार्ष व्यवहार है, एवं व्याकरणसम्मत भी नहीं है। ओम् शब्द अ+उ+म्, इन तीन वर्णों से बना है। इसमें…